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45 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी सड़क का सौ मीटर हिस्सा धंसा, निर्माणदायी संस्था की भूमिका पर उठ रहे है सवाल

गोपेश्वर:-  45 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी सड़क का सौ मीटर हिस्सा धंस जाना, निर्माणदायी संस्था की भूमिका पर सवाल उठती है। जी हाँ हम बात कर रहे है बदरीनाथ हाईवे के मैठाणा भूस्खलन क्षेत्र की। वर्ष 2015-16 में 45 करोड़ की लागत से इस भूस्खलन क्षेत्र के ट्रीटमेंट की कार्ययोजना बनाई। इसके तहत अलकनंदा तट से दीवार लगाने के साथ पहाडी से आने वाले पानी की सुरक्षित निकासी की व्यवस्था भी की जानी सुनिश्चित की गई। जिसे चार वर्ष के अंतराल में पूरा भी किया गया।

वही वर्ष 2022 से इस भूस्खलन क्षेत्र के मध्य भाग में सड़क धीरे-धीरे धंसनी शुरू हो गई। हालांकि, तब भूंधसाव वाले स्थान पर पैचवर्क कर इसे नजरअंदाज कर दिया गया। लेकिन, इस मानसून न केवल हाईवे का सौ मीटर से भी ज्यादा हिस्सा धंस चुका है, बल्कि अलकनंदा के किनारे दीवार भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं। जबकि, ट्रीटमेंट करने वाली कंपनी ने पांच वर्ष तक सड़क के सुरक्षित रहने की गारंटी दी थी।

जिस तरह सड़क धंस रही है, उससे क्षेत्रवासियों को डर है कि कहीं वर्ष 2013 वाली स्थिति फिर पैदा न हो जाए। वर्ष 2013 में भूस्खलन क्षेत्र उभरा था। तब लगभग 500 मीटर के दायरे में भूधंसाव के साथ ही अलकनंदा नदी से भूकटाव भी हुआ था। वर्ष 2015 आते-आते भूस्खलन इतना बढ़ गया कि वहां एक बहुमंजिला व एक अन्य भवन भरभराकर ढह गए। भूस्खलन का दायरा बढ़ने की स्थिति में मैठाणा व पुरसाड़ी गांव को भी खतरा हो गया था।

 

 

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