देहरादून:- एसडीसी फाउंडेशन द्वारा राउंडटेबल डायलॉग का आयोजन किया गया। जिसमे सरकार और समाज के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से आये कही अध्दिवक्ताओ ने बढ़ती आबादी, ट्रैफिक जाम और निजी वाहनों की तादाद को देखते हुए देहरादून की पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था के ऊपर अपने विचार और सुझाव को साझा किया।
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि राज्य गठन से अब तक देहरादून शहर की आबादी में कही गुना बढ़ोत्तरी हुई हैं। जो एक चिंता का बिषय है,वही इतने सालों में मेट्रो से लेकर नियो मेट्रो और पॉड टैक्सी तक कई विकल्पों की चर्चा सुनी, लेकिन कुछ भी ठोस पहल नहीं होने से लोगों का इन बातों से भरोसा उठ गया है।
परिचर्चा में भाग लेते हुए आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने बताया कि देहरादून के मौजूदा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वही उत्तराखंड मेट्रो के डीजीएम (सिविल) अरुण कुमार भट्ट ने बताया कि 2019 में देहरादून के लिए कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान तैयार किया था, जो शहर की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में सुधार का रोडमैप है। मेट्रो जैसी बड़ी रेल परियोजनाओं के अनुभव साझा करते हुए उत्तराखंड मेट्रो के पीआरओ गोपाल शर्मा ने बताया कि ये परियोजनाएं राजनीतिक इच्छाशक्ति पर भी निर्भर करती हैं। इसलिए जनप्रतिनिधियों की भूमिका अहम हो जाती है।पर्यावरणविद डॉ. सौम्या प्रसाद ने देहरादून में आम जनता के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी और महंगे किराए का मुद्दा उठाया। परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह ने कहा कि देहरादून में कई विधानसभा क्षेत्र होने के बावजूद पब्लिक ट्रांसपोर्ट चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया, जबकि दून में सड़कों का लैंडयूज बेहद कम है।