उत्तराखंड:- एक ऐसी पहाड़ी सब्जी जिससे सेवन से दिल, किडनी, हड्डियों को मजबूती मिलती है, जिसकी विदेशों में भी काफी डिमांड हो रही है। जी हा हम बात कर रहे है पहाड़ में उगने वाले लिंगुड़ा की सब्जी की। उत्तराखंड में लिंगुड़ा समुद्र तल से 1800 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर नमी वाली जगह पर मार्च से जुलाई तक उगता है। इसका वैज्ञानिक नाम डिप्लाजियम एसकुलेंटम है। दुनियाभर में लिंगुड़ा की 400 प्रजाति पाई जाती हैं।
लिंगुड़ा ऐसी ही सब्जी है, जिसे सुपर फूड कहा जाता है। स्वास्थ्य की देखभाल के नाम पर आज लोग ओमेगा-3 फैटी एसिड, आयरन, जिंक और कैल्शियम के लिए महंगे कैप्सूल ले रहे हैं और ये सभी तत्व लिंगुड़ा में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। जिसमें ओमेगा-3 होने के साथ ही कई खनिज प्राकृतिक रूप से मौजूद हैं। इसके सेवन से कैंसर नहीं होता, हृदय, यकृत, त्वचा और हड्डियों संबंधी बीमारी में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है। बरसात में मिलने वाले लिंगुड़ या लिंगुड़ा को जो सम्मान हम नहीं दे पाए वो सम्मान विदेशों में मिल रहा है। पूरी दुनिया में ये सुपरफूड के रूप में मशहूर है और उत्तराखंड से इसे अमेरिका सहित अन्य देशों में सप्लाई किया जा रहा है।
डॉक्टरो का भी मानना है की लिंगुड़ा शूगर, हार्ट, के मरीजों के लिए रामबांण है। लिंगुड़ा में फेट्स और वसा बिलकुल नहीं होता और न ही कोलेस्ट्रॉल होता है इसलिए यह हार्ट के मरीजों के लिए बहुत लाभदायक होता है। लिंगड को सब प्रकार के विटामिन्स,मिनरल्स और माइक्रोन्यूट्रियंट्स का अच्छा स्त्रोत भी माना जाता है. इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और पेट के कई रोगों के लिए भी ये औषधि का काम करता है।
शोध में पता चला है कि लिंगुड़ा ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक उत्कृष्ट गैर-समुद्री वैकल्पिक आहार स्त्रोत है। इसके खिले हुए पत्तों में किसी भी खाने योग्य हरे पौधे से अधिक फैटी एसिड स्पेक्ट्रम मौजूद है। ओमेगा-3 फैटी एसिड पूरे मानव शरीर में कोशिका झिल्ली का एक अभिन्न अंग होता है और सूजन और कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए लोग महंगी दवाइयों का सेवन करते हैं, जबकि लिंगुड़ा में ये नेचुरल तौर पर मिलता है।
पलायन के कारण नई जनरेशन इस सब्जी को भूलती जा रही है। शायद वो ये नहीं जानते की हम प्रकृति के दिए हुए इस अनमोल उपहार जो की कई रोगो में लाभदायक है उसे खुद से दूर करते जा रहे है। साथ ही हमे अपने उत्तराखंड की इस तरह की औषधीय गुणों को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए ।